भारत-पाकिस्तान संघर्ष और सीजफायर: एक विस्तृत विश्लेषण
परिचय: हालिया तनाव की पृष्ठभूमि
26 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। इस हमले का जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को दिया गया, जिसके जवाब में भारत ने 7-8 मई की रात को "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का सशक्त प्रतिकार
ऑपरेशन सिंदूर को भारत की नई रक्षा नीति के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि "आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती" और भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगा। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के 13 में से 11 एयर बेस को निशाना बनाया और ब्रह्मोस सहित कई मिसाइलों का इस्तेमाल किया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस ऑपरेशन ने भारत की सैन्य तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। ऑपरेशन के दौरान चीन निर्मित PL-15 मिसाइल और तुर्की के 'यीहा' ड्रोन जैसी विदेशी तकनीकों को नष्ट करने के सबूत भी मिले।
सीजफायर का विस्तार और वर्तमान स्थिति
10 मई को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों (DGMOs) के बीच बातचीत के बाद युद्धविराम की घोषणा हुई, जिसे पहले 16 मई तक और फिर 18 मई तक बढ़ा दिया गया है। आज (18 मई) दोनों देशों के DGMOs फिर से बातचीत कर स्थिति की समीक्षा करेंगे।
हालांकि, युद्धविराम के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे समझौते का उल्लंघन हुआ। इसके अलावा, बीएसएफ डेटा से पता चला है कि पाकिस्तान चीनी ड्रोन का उपयोग कर पंजाब सीमा पर नशीले पदार्थ और हथियार गिरा रहा है।
सिंधु जल संधि पर विवाद
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते" और जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह से बंद नहीं करता, तब तक यह संधि निलंबित रहेगी। पाकिस्तान ने इस निर्णय पर चिंता जताई है और कहा है कि इससे देश में जल संकट पैदा हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमेरिका: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम संभव हुआ, हालांकि भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया। ट्रम्प ने कहा कि यह उनकी "सबसे बड़ी सफलता" है जिसका श्रेय उन्हें कभी नहीं मिलेगा।
ब्रिटे यूके के विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा कि युद्धविराम को "टिकाऊ" बनाना होगा और आगे का संघर्ष किसी के हित में नहीं होगा।
सऊदी अरब: क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने युद्धविराम समझौते का स्वागत किया और आशा जताई कि इससे दोनों पड़ोसियों के बीच शांति बहाल होगी।
घरेलू राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- यूपी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय सेना को बधाई देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया।
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान को IMF ऋण के मामले में अमेरिकी दबाव में झुक गई।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि "जीत का जश्न मनाया जाता है, युद्धविराम का नहीं"।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजे की मांग की।
जम्मू-कश्मीर पर प्रभाव
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र से पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित छह जिलों के निवासियों के लिए राहत और पुनर्वास सहायता मांगी है। एलजी मनोज सिन्हा ने आतंकी हिंसा और सिविल अशांति के शिकार लोगों के लिए मुआवजा राशि में वृद्धि की घोषणा की है।
सेना ने पुंछ के सीमावर्ती गांवों के प्रभावित निवासियों के साथ एकजुटता दिखाई और उन्हें आवश्यक राशन वितरित किया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार होने की बात कही, लेकिन साथ ही कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की शर्त रखी। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान वायुसेना ने भारत को "कड़ा सबक" सिखाया है।
पाकिस्तानी सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि दी और भारत पर निर्दोष नागरिकों पर हमले का आरोप लगाया। विदेश मंत्री ईशाक दार ने कहा कि अंततः यह मामला दोनों देशों की राजनीतिक नेतृत्व के बीच संवाद पर जाएगा।
निष्कर्ष: आगे की राह
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान युद्धविराम एक नाजुक स्थिति है। जहां एक ओर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल "रोका गया" है न कि समाप्त किया गया, वहीं पाकिस्तान शांति वार्ता की बात कर रहा है। आने वाले दिनों में दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की बातचीत निर्णायक साबित होगी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, खासकर जब से अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब जैसे देश शांति प्रक्रिया में रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकी गतिविधियों को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक स्थायी शांति की उम्मीद करना मुश्किल होगा।
भारत ने अपनी सैन्य क्षमता और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है, लेकिन अब चुनौती यह है कि इस संघर्ष के दौरान प्रभावित हुए सीमावर्ती नागरिकों के जीवन को सामान्य बनाया जाए और कश्मीर में स्थायी शांति स्थापित की जाए।